कानाए :
मुझे मालूम नहीं था कि दिल्ली में इतने नेट-कैफ़े बन गए हैं ।

प्रदीप :
इंटरनेट बहुत उपयोगी चीज़ है ।

समाचार, गाड़ी की टाइमिंग, फ़िल्मी बातें आदि सब कुछ पता चल जाता है ।

कानाए :
क्या किसी पुस्तकालय का होम पेज भी होगा ?

जी हाँ, ज़रूर ।

आशा :
कानाए, नेट-कैफ़े जाकर अपने आप देख लो न ?

प्रदीप :
अगले महीने मैं इलाहाबाद जानेवाला हूँ ।

ट्रेन और होटल के बारे में भी इंटरनेट से सर्च करूँगा ।

प्रदीप :
वह सीट खाली है ।

यह रहा विकिपीडिया का हिंदी पेज ।

कानाए :
वाह !

मुझे आश्चर्य हुआ कि हिंदी में भी इतनी जानकारी मिलती है ।

प्रदीप :
इन दो-चार सालों में बड़ा विकास हुआ है ।

कानाए :
इंटरनेट से हम कुछ भी जल्दी से पता कर सकते हैं ।

आशा :
तुम ठीक कहती हो ।

आजकल बहुत-से लोग बचपन में ही कंप्यूटर का इस्तेमाल करने लगे हैं ।

प्रदीप :
यह भी सच है कि ज़्यादातर लोग जिंदगी भर कंप्यूटर को देख तक न पाते ।

आशा :
कानाए, तुम पुस्तकालय का होम पेज देखना चाहती हो न ?

प्रदीप :
मैं सर्च कर चुका हूँ ।

यह देखिए ।

कानाए :
धन्यवाद ।

कुछ समझ में नहीं आ रहा है ।

आशा :
ओफ़्फ़ोह ।

प्रदीप, तुम भी ज़रा कुछ मदद करो ।

प्रदीप :
यहाँ किताब या लेखक का नाम डालकर सर्च कीजिए ...

तब आपको किताब का नम्बर पता चल जाएगा ।

कानाए :
अब मेरा सब काम हो गया है -- किताब इशू कराने के अलावा !